स्वास्थ्य विभाग और व् यूनिसेफ की टीम ने समझाया- बच्चों को बीमारियों से बचाना है तो टीका जरूर लगवाएं
संजय सोनी की रिपोर्ट
कासगंज । नियमित टीकाकरण को लेकर भय और भ्रांतियों के चलते जिले के 995 परिवार बच्चों का टीकाकरण कराने को राजी नहीं थे । स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ की टीम ने जब यह बात समझाई कि टीका लगने से बच्चों की बीमारियों से रक्षा होगी तो वह पहले मानने को तैयार नहीं थे फिर जब उन्हें उदाहरण देकर समझाया गया तो बात उनके समझ में आ गयी । इनमें से 442 परिवार तो टीकाकरण को राजी हो गए है, अन्य को तैयार करने की कोशिश जारी है ।
ब्लॉक कासगंज के बांकनेर की रहने वाली हेमलता सिंह ने भी टीकाकरण से मना करने वाले 14 परिवारों की भ्रांतियों को दूरकर टीकाकरण के लिए राजी कर लिया । आशा कार्यकर्ता हेमलता सिंह ने बताया कि वह परिवार को ज़ब भी टीके के लिए बुलाने जाती थीं तो उन्हें विरोध के चलते हर बार वापस लौटना पड़ता था। बहुत कोशिश के बाद भी परिवार किसी भी तरह टीककरण के लिए राजी नहीं हुए तब उन्होंने यूनिसेफ बीएमसी जावेद को बताया । जावेद स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ आकर बैठक की और टीका न लगवाने वाले परिवारों को टीकाकरण के लिए राजी किया ।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीईओ) डॉ. अंजुश सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग व यूनीसेफ के प्रयासों से 442 परिवार को टीकाकरण कराने के लिए तैयार हुए। उन्होंने कहा कि टीकाकरण का 100 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करने के लिए जनवरी से मार्च माह तक विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा, इसमें छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। डीआईओ ने कहा कि टीकाकरण कराने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है । टीकाकरण न होने से गंभीर बीमारियां टिटनेस, हेपाटाइटिस बी,पोलियो, टीबी, काली खाँसी, गलघोटूँ, निमोनिया, खसरा जैसी जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा होती है।
यूनिसेफ जिला समन्वयक राजीव चौहान ने बताया कि गत बुधवार को यूनिसेफ द्वारा शहरी क्षेत्र में पांच परिवारों को टीकाकरण के लिए मनाया गया। टीकाकरण के प्रति जो भ्रांतियां हैं, उसे दूर किया जा रहा है और हकीकत समझाई गयी ।
कासगंज ग्राम हिम्मतपुर सईं के रत्न सिंह का बच्चा आठ माह का हो गया था, लेकिन उसको एक भी टीका नहीं लगा था, जिससे वह बीमार रहता था । रत्न सिंह को भ्रम था कि टीका लगने से बच्चे बीमार होते हैं । स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब समझाया कि टीका न लगने से उनका बच्चा बीमार रहता है तो उन्हें बात समझ आई और वह टीका लगवाने को राजी हुए ।