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नकली नोट के साथ कथाकथिक पत्रकार और थाने अध्यक्ष को फासने का फर्जी मकड़ा जाल

नीरज जैन की रिपोर्ट

 

उत्तर प्रदेश । बहराइच जनपद में कुछ पत्रकारों का यह हाल है की दूसरे को बदनाम करने के लिए पूरी तरीके से काम की ठेकेदारी उठा लिए अपने कंधों पर ऐसे कथाकथित पत्रकार समाज के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं । कानून का उल्लंघन और गरिमा को और पत्रकारिता के नाम पर अवैध धंधे की आड़ में अपने परचम चमकाने के लिए अपनी लिखित राइटिंग में क्या-क्या लिख जाते हैं उनको खुद नहीं मालूम होता कि हम क्या लिख रहे हैं और क्या पढ़ रहे हैं पूर्ण रूप से अगर मुलजिम को जेल में भेज दिया जाता है जिससे जिले के कई पत्रकारों के हाथ पैर कट जाते हैं तो वह अपना वर्चस्व चमकाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकार को बटोर कर जिले में नंगा नाच करते हैं अगर कोई सच्चाई दिखाने की बात करता है तो उस पर गलत तरीके से आरोप लगाकर खबर का खंडन किया जाता है ।

और जिस पत्रकार के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं वह ना ही सूचना में और ना ही पत्रकारिता में कोई नहीं स्वीकार रहा है लेकिन कथाकथित पत्रकार बॉर्डर से जुड़े हुए क्षेत्रों में अपनी वर्चस्व का परचम लहराने में जब कोई अधिकारी इस बात को समझ लेता है तो वह किसी को जेल भेज देता है जिनकी छवि हो सातवीं क्लास में था तो अपनी क्लास टीचर को फसाया था इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जिसको पत्रकार कहा जा रहा है वह सातवीं कक्षा में अपनी टीचर को फंसा सकता है तो क्या 20 साल की उम्र में क्या-क्या करता होगा इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता और ऐसे लोगों के ऊपर अगर किसी भी थाने का थाना अध्यक्ष कार्यवाही कर दे तो मान लो जिले में आफत सी आ गई क्योंकि उस थानाध्यक्ष ने इनके परचम लहराने पर रोक लगा दी ।

तो इनको अच्छा नहीं लगा फर्जी तरीके से ग्राम प्रधानों को फंसाया जा ना उन से धन उगाही करना हाल ही की घटना सामने आई जिसमें मुर्तिहा थाने में तीन नकली नोटों के व्यापारी पकड़े गए जिनके पास से पत्रकार का आईडी कार्ड प्राप्त हुआ तो यह सब चीजें इन लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रही है इसी प्रकरण में थाना अध्यक्षों पर अपना डर और दबाव बनाने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा जा रहा है साथ में ही जनपद की जेल में गए हैं अभी उनका फोटो संकलन किया जा रहा है अगर इस तरह के थाना अध्यक्ष दो चार थानों में और कर दें तो यह तस्करी नोटों की हेराफेरी कालाबाजारी सब खत्म हो जाएगी हमको किसी को कुछ कहने का अधिकार नहीं है पत्रकार स्वतंत्र पत्रकारिता करता है अधिकारिक छवि को सकारात्मक सोच के साथ देखा जाए तो अधिकारी भी आपके ही तरह सामान्य दिखाई देगा और अगर उन पत्रकारों की बात की जाए तो वह कक्षा 8 की भी मार्कशीट नहीं है ।

हाथ में एंड्राइड मोबाइल गले में डीएसएलआर कैमरा लटकाकर हवाई चप्पल पहन कर पत्रकारिता करने प्रधानों को रणनीति बनाकर फसाने के कार्य में सम्मिलित रहते हैं यहां तक के कथाकथित पत्रकार दूसरे को कहने वाले यह नहीं सोचते हैं कि हम कक्षा 8 पास नहीं है और पत्रकारिता कर रहे हैं झुंड कक्षा 12 दो से 4 पत्रकार ही होंगे बाकी सब कक्षा 10 फेल ही पत्रकार ऐसे घटिया कार्य कर सकते हैं पत्रकारिता का स्तर इस कदर खराब कर रहे हैं कि मानो कलम के कोई मायने ही नहीं है । कि हम क्या शब्द लिख रहे हैं और क्या बोल रहे हैं हिंदी भाषा में कहा जाए तो एक ही अक्षर का तीन मतलब निकलता है जब वह अपनी हिंदी भाषा का प्रयोग नहीं करना जानते हैं कि हम कहां कब और क्या बोले वह क्या पत्रकारिता करने लायक हैं इसका जिम्मेदार कौन है ।

आखिरकार क्यों नहीं इनसे पूछा जाता है तुम कैसे बने पत्रकार तुमको किसने बनाया पत्रकार किस जिले में कुछ पूर्णिया व्यक्ति पत्रकारिता में ढोंस दिखाकर सूचना में कब्जा करके बैठे हुए हैं जो यह नहीं जानते अभी हाल ही में एक पत्रकार ने जिले के पुराने पत्रकार से संपर्क करके कहा महोदय जी हमको एक नंबर की साइबर सेल में कंप्लेंट करनी है तो पुरानिया महोदय जी ने कहा 15 दिन लगे गा तब तुम्हारा नम्बर से कंप्लेन हो पाएगी तुमको रुपईडीहा जाना पड़ेगा कंप्लेन करने बड़ी आश्चर्य की बात है कि जब पूर्णिया पत्रकार इस प्रकार की अपने चेलों को उल्टे तरीके सिखा रहे हैं और बता रहे हैं कि मुख्यालय पर कंप्लेन करना है साइबर सेल में उसके लिए रुपईडीहा जाने से क्या मतलब कब से रुपईडीहा थाना साइबर सेल ऑफिस बन गया हद तो तब हो गई जब पूर्णिया पत्रकार ने बताया कि तुमको 15 दिन तक के बहराइच से रुपईडीहा जाना पड़ेगा तब तुम्हारा नंबर सर्विलांस पर लग पाएगा ऐसी बेवकूफी हो वाली हरकत कि दुनिया का कोई आदमी नहीं कर सकता।

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