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अलीगढ़ के इस गाँव में एक मौत के बाद 24 घंटे में हो जाती है दूसरी, और दूसरी के बाद तीसरी व चौथी ग्रामीण दहशत में रहने को मजबूर

संजय सोनी की रिपोर्ट

अलीगढ़ । जनपद का एक ऐसा गांव जहां किसी की मौत हो जाए तो 24 घंटे में दूसरी मौत निश्चित है। और अगर तीसरी हो जाए तो चौथी मौत हो जाती है। यानी कि इस गांव में होती है जोड़े से मौत… यह बात हम नहीं कह रहे हैं। इस बात की पुष्टि अलीगढ़ के थाना गांधी पार्क इलाका स्थित गांव भदेसी निवासी नौजवान व बुजुर्ग करते हुए अपनी आंखों देखी बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस सिलसिले बार मौत से ग्रामीण दहशत में रहने को मजबूर हैं। ताजा मामले में अब तक चार दिनों में 4 मौत की पुष्टि हुई है। अब इसे कोई घटना कहें या ग्रामीणों का अंधविश्वास या मात्र एक इत्तेफाक कहें। जो भी हो ग्रामीण इससे परेशान हैं।

आपको अवगत करा दें अलीगढ़ के थाना गांधी पार्क इलाका स्थित भदेसी गांव करीब 100 साल पुराना है। जिसकी प्रारंभिक आबादी 200 की रही होगी। हालांकि अब आबादी बढ़कर 7 से 8000 के करीब हो चुकी है। इस गांव में मिश्रित आबादी रहती है । भदेसी गांव
दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक के किनारे बसा हुआ है। गांव के पूर्व ग्राम प्रधान गंगावासी बता रहे हैं कि उनकी उम्र करीब 72 से 73 वर्ष हो चुकी है। उन्होंने अपने सामने अब तक कई मौतों को अपने सामने होते हुए देखा है। जो कि जोड़े से हुई है। गंगावासी का कहना है कि अगर किसी एक व्यक्ति की मौत हो जाए तो गांव में दहशत फैल जाती है। कि अब किसी प्रकार 24 घंटे शांति से बीत जाएं तो ठीक है, वरना दूसरी मौत निश्चित है। उसके बाद अगर तीसरी मौत हो जाए तो चौथी मौत निश्चित है। इसी प्रकार पांचवी हो जाए तो छठी मौत निश्चित है।

ताजा मामले की बात की जाए तो गांव के बोहरे नामक 22 वर्षीय युवक की किसी कारणवश मृत्यु हो गई। जिसके बाद सिलसिलेवार टेनी, विष्णु व जीतू समेत 4 दिन में अब तक 4 मौतें सामने आ चुकी है। गांव में एक बार फिर से सिलसिलेवार मौतों के कारण यह मामला चर्चा का विषय बन चुका है। गांव के लोग अपने-अपने तरीके से इस मामले को बता रहे हैं। हालांकि हर किसी की बताई हुई बात एक दूसरे से मेल खा रही है। अब इस मामले पर जब हिंदू रीति रवाज से संबंधित हिंदू धर्म गुरु डॉ पूजा शकुन पांडे से बात की गई तो उन्होंने इस मामले को पित्र दोष बताते हुए इन घटनाओं को धार्मिक रूप दिया है। अब इसे कोई घटना कहें या ग्रामीणों का अंधविश्वास या मात्र एक इत्तेफाक कहें। जो भी हो ग्रामीण इससे परेशान हैं।

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