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पुरुष नसबंदी पखवाड़ा : अब तक चार पुरुषों ने दिखायी समझदारी

साल भर में हुई 17 पुरुष नसबंदी, पखवाड़ा में 44 महिलाओं ने भी स्थाई साधन अपनाया

उपेंद्र शर्मा की रिपोर्ट

नोएडा । जनपद में 21 नवम्बर से पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाना है। चार दिसम्बर तक चलने वाले पखवाड़ा में जनपद के हर स्वास्थ्य केन्द्र पर परिवार नियोजन अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं। आशा-एएनएम घर-घर जाकर इस बारे में जानकारी दे रही हैं और परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इस पखवाड़ा में चार पुरुष स्वेच्छा से नसबंदी करा चुके हैं। इसके अलावा इस दौरान 44 महिलाओं ने स्वयं आगे आकर परिवार नियोजन के स्थाई साधन नसबंदी को अपनाया है।

परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. भारत भूषण का कहना है – लोगों को लगता है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम जनसंख्या नियंत्रण के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है। परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनी शारीरिक और आर्थिक स्थिति के मुताबिक योजना के साथ परिवार को नियोजित करने का कार्यक्रम है। उन्होंने कहा परिवार नियोजन का उद्देश्य प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना भी है। विवाह के उपरांत महिला के शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही गर्भधारण करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर भी परिवार नियोजन कार्यक्रम का हिस्सा है।

डा. भारत भूषण ने कहा पुरुषों में यह भ्रांति है कि नसबंदी कराने से कमजोरी आती है। यह एकदम निराधार बात है। पुरुष नसबंदी स्थाई परिवार नियोजन का एकदम सुरक्षित और कारगर उपाय है। यह मामूली सी शल्य क्रिया है और महिला नसबंदी के मुकाबले आसान भी है। नसबंदी कराने के बाद पुरुष में किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती। इसलिए पुरुषों को भी परिवार नियोजन में बराबर की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

उन्होंने कहा परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शासन के निर्देश पर जनपद में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। 21 नवंबर से शुरू हुए पखवाड़ा के तहत आशा – एएनएम घर-घर जाकर इस बारे में जानकारी दे रही हैं और परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया पुरुष नसबंदी पखवाड़ा में जहां चार पुरुषों ने नसबंदी करायी है वहीं साल भर में (अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक) 13 पुरुष स्वेच्छा से नसबंदी करा चुके हैं। यानि जनपद में 17 पुरुष नसबंदी हो चुकी हैं। परिवार नियोजन में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है। पखवाड़ा के दौरान अब तक 44 महिलाओं ने नसबंदी को अपनाया है। वहीं साल भर में 1155 महिलाएं ने नसबंदी पर भरोसा जताया है।

4176 महिलाओं ने आईयूसीडी, 1958 ने पीपीआईयूसी, 3636 महिलाओं ने त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा अपनाया है। इसमें 2116 महिलाओं ने अंतरा की प्रथम डोज, 853 ने दूसरी, 426 ने तीसरी और 241 ने चौथी डोज ली है।

स्वेच्छा ने नसबंदी कराने वाली कांति (बदला हुआ नाम) ने बताया उसके दो बेटियां हैं। उसने बताया इस फैसले में पति तो उसके साथ हैं पर परिवार के अन्य सदस्य (सास-ससुर) नसबंदी के खिलाफ थे। फिर भी उसने आगे आकर परिवार नियोजन के स्थाई साधन के रूप में नसबंदी को अपनाया है।

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