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समय पर मिले इलाज टीबी को दे सकते हैं मात डीटीओ

ब्लॉक राजेपुर में हैं सर्वाधिक 304 टीबी रोगी

नीरज जैन की रिपोर्ट

फर्रुखाबाद । भारत सहित अन्य देश अपने-अपने स्तर पर टीबी को खत्म करने के प्रयास कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक विश्व से टीबी को पूर्ण रूप से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं भारत ने वर्ष 2025 तक टीबी को पूर्ण रूप से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस बारे में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने बताया कि हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है। लेकिन प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है तो बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है, जो ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक जीवाणु से होता है।

डीटीओ ने बताया कि टीबी रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है। हालांकि टीबी का वायरस आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।

डीटीओ ने बताया कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। वहीं, शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं। डीटीओ ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाते हैं और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुँच जाते है और उसे संक्रमित कर देते हैं।

डीटीओ ने बताया कि टीबी का मरीज एक वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है।ऐसे में टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है। यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। इसलिए इसे छिपाने की नहीं बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है।

डीटीओ ने बताया कि टीबी के मरीजों को अपना उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए । यदि बीच में उपचार छोड़ दिया जाए तो टीबी से निजात पाना कठिन हो जाता है। जिला रोग विभाग से जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि जिले में जनवरी 2022 से अक्टूबर 2022 तक कुल 3155 मरीज़ मिले जिसमें से 1034 टीबी रोगियों ने टीबी रोग से मुक्ति पा ली है ।

सौरभ ने बताया कि जिले के क्षय रोग केंद्र फतेहगढ़ में सर्वाधिक 400 क्षय रोगी अपना इलाज करा रहे हैं । इसके अलावा राजेपुर सीएचसी में 304, कायमगंज में 274, सिविल अस्पताल लिंजीगंज में 225, मोहम्दाबाद में 215, शमसाबाद में 189, कमालगंज में 170, बरौन में 155, नवाबगंज में 107, और टीबी यूनिट जहानगंज में 82 टीबी रोगी अपना इलाज करा रहे हैं ।

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