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इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने शिविर लगाकर टीबी रोगियों के जीरो बैलेंस पर खोले खाते

निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए हर माह दिए जाते हैं 500 रूपए

नीरज जैन की रिपोर्ट

फर्रुखाबाद । राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान प्रतिमाह पांच सौ रुपये दिए जाते हैं। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है। जिले में इस समय दो हजार से अधिक टीबी रोगी हैं , ले‍किन 70 फीसदी मरीजों के ही खाते हैं। ऐसे में सभी मरीजों को पोषण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इसी को लेकर जिला क्षय रोग विभाग द्वारा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के साथ शिविर लगाकर लगभग 20 टीबी रोगियों के जीरो बैलेंस पर खाते खोले गए l जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने बताया कि टीबी के इलाज के लिए किसी गरीब को कर्ज लेने की जरूरत नहीं है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों के बैंक खाते में इलाज जारी रहने तक प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि बेहतर पोषण के लिए भेजी जाती है।

डॉ. रंजन गौतम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के लिए बैंक खाता खुलवाना मुश्किल हो रहा था। इस कारण उनके खाते इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में खुलवाने की व्यवस्था की गई है। डॉ रंजन गौतम ने बताया कि पोस्ट ऑफिस में जीरो बैलेंस खाता खुलवाने पर न्‍यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता नहीं होगी। मरीज की गंभीर स्थिति पर उसके घर पर ही खाता खुलवाने और जमा राशि निकालने की सुविधा उपलब्‍ध होगी। खाता खुलवाने के लिए टीबी मरीज का पहचान पत्र और आधार कार्ड लाना आवश्‍यक है।

डॉ रंजन गौतम ने बताया कि टीबी यानी तपेदिक अब जानलेवा बीमारी नहीं है। इस बीमारी की सरकारी अस्‍पतालों में निशुल्‍क जांच होती है। इस बीमारी का इलाज सस्‍ता और सुगम है। यहां तक कि इस बीमारी से पीडि़त रोगियों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी मिलती है।

जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि ज़िले में इस समय लगभग 2100 टीबी रोगी हैं जिनमें से बुधवार को लगभग 20टीबी रोगियों ने अपने खाते खुलवाए । कई बार टीबी रोगियों से कहा जा चुका है की अपने खाते जल्द खुलवा लें जिससे पोषण सम्बन्धी राशि उनके खाते में समय से जा सके ।

सौरभ ने बताया इस वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 36 लाख रुपए का भुगतान निक्षय पोषण योजना के तहत किया जा चुका है ।
सौरभ ने बताया कि जो टीबी रोगी आने जाने में असमर्थ हैं तो उनके परिजन के खाते में राशि भेजी जाती है अगर टीबी रोगी इसके लिए तैयार हो ।

बढ़पुर ब्लॉक के राकेश (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मेरी पोती इस समय 10 वर्ष की है उसको टीबी रोग 5 माह पहले हो गया था उसका अभी खाता नहीं खुल पाया था आज मेरी बच्ची के सभी कागज जमा कर लिए गए हैं । नवाबगंज ब्लॉक के अंर्तगत आने वाले ग्राम कांधेमई के रहने वाले गौरव ने बताया कि मेरे पिता जी को 2 माह पहले टीबी रोग हो गया था अभी उनका इलाज चल रहा है उनका ग्रामीण बैंक में खाता है लेकिन उसमें पैसे नहीं आ रहे थे उनका लगे शिविर में खाता खोला गया ।
इस दौरान क्षय रोग विभाग के स्वास्थ्य कर्मी सहित क्षय रोगी मौजूद रहे ।

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