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स्वास्थ्य विभाग ने टीबी मरीजों को प्रदान की पोषण किट

– स्याना सीएचसी ने लिया है आठ मरीजों को गोद

 

रेनू शर्मा की रिपोर्ट

बुलंदशहर । देश से वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने की मुहिम को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रयास लगातार जारी हैं। इस सिलसिले में प्रदेश की राज्यपाल के आह्वान पर विभिन्न संगठन, स्वयं सेवी संस्था, सरकारी अधिकारी और व्यक्तिगत तौर पर लोग टीबी मरीजों को गोद ले रहे हैं। जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्याना ने भी टीबी के आठ मरीजों को गोद लिया हुआ है। मंगलवार को इन सभी को पोषण किट प्रदान की ।

उपचार जारी रहने तक इनके पोषण और भावनात्मक सहयोग का जिम्मा सीएचसी स्याना उठाएगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विनय कुमार सिंह ने बताया जनपद से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार काम कर रही है। टीबी के लक्षण मिलने पर संभावित मरीजों की जांच की जा रही है और पुष्टि होने पर उपचार। इसी क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्याना के प्रभारी सहित चिकित्सकों की टीम ने क्षेत्र  के आठ मरीजों को गोद लिया है। मंगलवार को इन सभी मरीजों को पुष्टाहार (चना, गुड़, बादाम, दलिया, सेव व केला) प्रदान किया गया।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. हेमंत रस्तोगी ने बताया जनपद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है। शाम के समय हल्का बुखार होना, कमजोरी होना, लगातार वजन कम होना टीबी के लक्षण हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, खसरा होने, टायफाइड होने एवं पौष्टिक आहार नहीं मिलने पर टीबी होने की आशंका बढ़ जाती हैं।

दिमागी टीबी होने पर रोगी को बुखार, एक अंग का काम नहीं करने, बेहोशी छाने जैसे लक्षण पाये जाते हैं, जबकि फेफड़ों की टीबी होने पर रोगी में पसली चलने, तेज बुखार होने, सांस तेज चलने, तेज खांसी होने जैसे लक्षण होते हैं। जबकि गांठ वाली टीबी में गले, बगल में गांठ हो जाती है। इसमें दर्द होता है। ऐसी स्थिति में जांच अवश्य करानी चाहिए। नियमित दवा और परहेज से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। उपचार के साथ-साथ मरीज को खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।

पौष्टिक आहार का सेवन करें स्याना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डा. विपिन कुमार बताते हैं टीबी रोगी को पौष्टिक आहार दें, फास्ट फूड से परहेज करें। यदि परिवार में कोई सदस्य टीबी से ग्रसित है तो परिवार के सभी सदस्यों की जांच करा कर दवा लें। नियमित रूप से दवा का सेवन करें। सभी सरकारी अस्पतालों में बलगम की जांच एवं दवा की निशुल्क व्यवस्था है।

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