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बीच में न छोड़े टीबी का इलाज, हो सकता है घातक

टीबी को छिपाने के बजाय समय पर इलाज जरूरी : जिला क्षय रोग अधिकारी

संजय सोनी की रिपोर्ट

कासगंज । केस 1 सोरों ब्लॉक की 24 वर्षीय नाज़ (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि करीब छ: माह पूर्व उन्हें लगातार खाँसी व बलगम की शिकायत थी, जिससे सीने में दर्द भी होने लगा था । उपचार के लिए जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोरों गई, तो वहां डॉक्टर ने टीबी अस्पताल जाकर टीबी की जाँच कराने को कहा, जब टीबी अस्पताल में खून और बलगम जाँच व एक्सरे से टीबी की पुष्टि हुयी, तो उनका टीबी अस्पताल से ही इलाज शुरू हो गया।

एक माह के उपचार के बाद आराम महसूस होने पर उपचार में लापरवाही बरती, जिसका नतीजा यह रहा कि उनकी समस्या फिर से बढ़ गयी । दुबारा अस्पताल जाने पर, उन्हें फिर से एक से गिनती शुरू करनी पड़ी। लेकिन इसबार इलाज बीच न छोड़ने की ठानी। छ: माह के इलाज के बाद वह आज पूरी तरह स्वस्थ है। वह सभी से अपील करती हैं कि टीबी का इलाज बीच में न छोड़े, बीच में दवा बंद हो जाने पर बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

केस 2, गंजडुंडवारा के रहने वाले 28 वर्षीय शानू अंसारी (बदला हुआ नाम) बताते है कि उनको लगातार बुखार रहता था, जब बहुत इलाज के बाद भी बुखार नहीं गया, तो उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर जिला अस्पताल में जाकर जाँच कराई जिसमें उन्हें टीबी है, इसके बारें में पता चला । शानू ने भी दो माह के बाद उपचार छोड़ा तो उन्हें परेशानी हुयी, अभी उनका फिर से टीबी अस्पताल से ही इलाज चल रहा है । डॉक्टर ने उन्हें उपचार के साथ पोषण युक्त खान पान के लिए बताया है ।

जिला क्षय रोग अधिकारी अतुल सारस्वत बताते हैं कि टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है, लेकिन फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है, और फेफड़ो की टीबी के ही रोगी सबसे ज्यादा आते हैं। छह महीने तक नियमित दवा खाने से टीबी से छुटकारा पाया जा सकता है। बीच में दवा छोड़ देने पर टीबी का इलाज घातक भी हो सकता है। सामाजिक कलंक के चलते आज भी टीबी के मरीज खुलकर सामने नही आ पाते, जिससे यह और फ़ैल रहा है ।

जनसामान्य से अपील की कि टीबी रोगियों को चिह्नित करवाने में मदद करें । टीबी उपचाराधीन को बीच में इलाज न छोड़ने के लिए प्रेरित करें । , उन्होंने कहा कि टीबी और पोषण का बहुत गहरा नाता है। क्योंकि क्षय रोग के दौरान पोषक तत्वों की आवश्यकता सामान्य दिनों से ज्यादा होती है। क्षय रोगी को उपचार के साथ पोषण युक्त भोजन जैसे कि दालें, अनाज, घी, दही, दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंडा, मछली आदि भरपूर मात्रा में दें। दवाइयों के साथ बेहतर आहार टीबी मरीज को जल्द से जल्द सही करने में सहायक होता है ।

जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि क्षय रोगियों को इलाज के दौरान पोषण के लिए उनके खाते में प्रति माह 500 रुपये भेजे जाते हैं। एक जनवरी 2022 से तीन नवंबर 2022 तक जिले में 3084 टीबी रोगी है, जिसमें 2214 टीबी रोगियों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर व 870 मरीजों का प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज चल रहा है।

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