पेल्विक व जेनाइटल टीबी होने पर सही उपचार के पश्चात गर्भधारण करना संभव -डॉ नमिता
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । टीबी की बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन यह फेफड़ों के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करती है जब टीबी का बैक्टीरिया प्रजनन मार्ग में पहुंच जाता है तो गर्भाशय, अंडाशय, योनि मार्ग, लिम्फ नोडस को प्रभावित करता है जिससे प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण जेनाइटल या पेल्विक टीबी हो जाती है l यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम का ।
वह बताते हैं कि जेनाइटल या पेल्विक टीबी के संदर्भ में भ्रांतियों के कारण लोगों को सही जानकारी नहीं होती और महिलाएं भी यह सोचती हैं कि पेल्विक टीबी(फेलोपियन ट्यूब,गर्भाशय, योनि) होने की वजह से वह बच्चे को जन्म नहीं दे पाएंगी। पर यह सभी भ्रांतियां निराधार हैं सही समय पर इलाज और अच्छा खानपान बेहतर जीवनशैली से कोई भी जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाएं स्वस्थ होने के पश्चात गर्भधारण कर सकती है।
जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाओं को इलाज के संदर्भ में सारी जानकारी दी जाती है और उनके साथ उनके घर वालों की काउंसलिंग भी करते हैं। जिससे कि मरीज के साथ किसी तरह का भेदभाव न किया जाए। उसे इलाज के साथ मानसिक रूप से सहयोग किया जाए जिससे वह जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाए। उन्होंने बताया लेकिन कभी-कभी मरीजों के साथ भेदभाव किया जाता है इसीलिए मैं लोगों से अपील करता हूं कि लोग टीबी से ग्रसित लोगों के साथ भावनात्मक सहयोग अवश्य रखें।
डीपीसी ने बताया कि जिले में इस समय 2103 टीबी रोगी हैं जिनका इलाज चल रहा है साथ ही इस वित्तीय वर्ष में लगभग 35 लाख रुपए का भुगतान निक्षय पोषण योजना के अंर्तगत किया जा चुका है l बीबीगंज निवासी 27 वर्षीय सीता (बदला हुआ नाम) ने बताया 2019 में मैंने प्राइवेट चिकित्सालय में जांच कराई तो पता चला मुझे गर्भाशय की टीबी है। मैं अभी अपना इलाज निजी चिकित्सालय में करा रही हूं l
पेल्विक व जेनाइटल टीबी के संबंध में विशेषज्ञ की राय
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता दास ने बताया कि पेल्विक टीबी होने पर महिलाओं के जननांग प्रभावित होते हैं। फेलोपियन ट्यूब बंद हो जाते हैं जिससे परेशानियां बढ़ जाती हैं जिससे महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती। उन्होंने बताया कि गर्भाशय में टीबी होने पर गर्भाशय की अंदर की लाइनिंग परत पतली हो जाती है।
जिससे गर्भ पूर्ण विकसित होने में मुश्किल होती है। इसलिए टीबी का सही से समय पर इलाज कराया जाए। साथ ही पौष्टिक भोजन और योग, व्यायाम , स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाए तो कोई भी महिला स्वस्थ होने के बाद गर्भधारण कर सकती है। उन्होंने बताया कि जिन किशोरियों को मासिक धर्म कम होता है या अनियमित रूप से हो रहा है l
और यह समस्या लंबे समय रहे तो वह सतर्कता बरतें और वह अपना चैकअप अवश्य कराएं क्योंकि इस तरह की समस्या लंबे समय तक रहने पर जेनिटल टीबी का खतरा हो सकता है। डॉ नमिता ने बताया कि डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में लगभग प्रतिवर्ष 1 या 2 महिलाएं ऐसी आती हैं जिनको गर्भाशय की टीबी होती है उनका सफलतापुर्वक इलाज किया जाता है जिससे कि वह गर्भधारण कर सके l