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स्क्रिजोफ्रिनिया पीड़ित करता है कल्पना व शक

– जिला अस्पताल में सप्ताह में 3 दिन स्क्रिजोफ्रिनिया पीड़ित ओपीडी होती है सोमवार , बुधवार और शुक्रवार

अनुज जैन की रिपोर्ट

अमरोहा । कुछ लोगों के मन में अक्सर दूसरों के प्रति शंका उत्पन्न हो जाती है। उसे लगता है कि उस पर जादू टोना कर दिया गया है। लोग उसे और उसके परिवार को मार डालेंगे, जहर दे देंगे, पुलिस उसे पकड़ लेगी और लोग उसके खिलाफ षड़यंत्र रच रहे हैं। रोगी के कानों में अनचाही आवाजें आती है जो उसे बुलाती है या धमकाती हैं। यह कुछ और नहीं बल्कि स्क्रीझोफ्रेनिया यानि मस्तिष्क में व्यतीत न्यूरो माइकल्स की कमी से होता है। यह कहना है डॉ राहुल बंसल का।

डॉ राहुल बंसल ने बताया कि इस बीमारी में रोगी अकेले में हंसता है, रोता है या बुदबुदाता है। उसकी दिनचर्या भी अनियमित हो जाती है। नींद और भूख कम हो जाती है। नशे की तरफ आकर्षित होने लगता है। मरीज उग्र भी हो जाता है और मारपीट करने लगता है। इस रोग पर अक्सर लोग सोचते हैं कि यह रोग भूत-प्रेत, बुरी नजर, या जादू टोना से हुआ है। कभी-कभी लोग इसका कारण वासना की गर्मी को मानते हैं और मरीज की शादी कर देते हैं।

उन्होंने बताया कि इस रोग के इलाज के लिए दवा उपलब्ध हैं। इसके नियमित सेवन से रोगी सामान्य जीवन जी सकता है। दवा एक निश्चित समय के बाद बंद भी हो जाती है। इसी तरह का मरीज जब हमारे पास आया था उसकी काउंसलिंग की गई काउंसलिंग के बाद उसकी दवाई चलाई गई अब वह है व्यक्ति अपनी पढ़ाई कंटिन्यू कर रहा है और 75 परसेंट उस व्यक्ति में सुधार आ चुका है। अभी भी उस व्यक्ति की दवा चल रही है।

जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल बंसल ने बताया कि स्क्रिजोफ्रिनिया में व्यक्ति एक दूसरे पर शक करता है चाहे वह अपने मां बाप पर करें बच्चों पर करें या अपनी बीवी पर किसी पर भी शक करना शुरू कर देता है। इस बीमारी के जरिए वह व्यक्ति मानसिक रोगी होता है ऐसे व्यक्ति जिला अस्पताल में एक माह में 15 से 20 व्यक्ति आते हैं जिनको दवाई के द्वारा और ठीक किया गया है इसका इलाज लंबे समय तक चलता है।

परिवार के सदस्यों की भी काउंसलिंग करनी पड़ती है उससे पता चलता है कि व्यक्ति में कितना सुधार आ गया है। और इस समय जिला अस्पताल में सप्ताह में 3 दिन ओपीडी होती है सोमवार , बुधवार और शुक्रवार प्रत्येक दिन 40 से 45 मरीज मानसिक रोगी के आते हैं। प्रत्येक माह में 500 से 550 तक मरीज ओपीडी में आ जाते हैं। जिला अस्पताल में कमरा नंबर 4 व 5 मे मन कक्ष बना हुआ है। और जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मानसिक रोग के मरीजों को देखा जाता है। मानसिक रोग में होने वाली इन सभी चीजों को रोका जा सकता है। हालात संभाले जा सकते हैं। इलाज मुमकिन है।

 

मानसिक रोग के लक्षण

– नींद न आना या देर से नींद आना।

– उदास या मायूस रहना।

– चिंता,घबराहट उलझन रहना।

– किसी काम में मन न लगना

– वास्तविकता से दूर होना, शक करना

– आत्महत्या की भावना, याद दाश्त में कमी आना मानसिक रोग के कारण

– अकेलापन,दबाव आत्मसम्मान में कमी

– एल्कोहल या ड्रग्स जैसे मादक पदार्थो का सेवन

– बात बात पर गुस्सा अधिक आना।

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