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दुर्गा बाड़ी सम्मीलनी में महा दशमी पूजा का आयोजन हुआ।

अन्नू सोनी की रिपोर्ट

 

अलीगढ़ । महा दशमी पूजा आरती एवं दर्पण विसर्जन के साथ समाप्त हुआ । दर्पण का विसर्जन के पीछे एक मानयता है कि देवी मां दुर्गा अपने ससुराल चली जाती हैं एक साल बाद दुबारा मायके लौट के आती है । उस 1 साल के लिए पानी से भरे परात में दर्पण लगाकर देवी मां का विसर्जन किया जाता है और वह अपने ससुराल महादेव जी के पास प्रस्थान करती है। देवी मां इस साल जिस वाहन ने पधारी थी वह गज और जिसमें वापस जाएंगे वह नौका है।

ऐसा माना जाता है कि हाथी में आने से माता रानी चारों तरफ हरियाली लाती है। खेती के लिए शुभ संकेत है और नाव में जाने का मतलब घोर बारिश ,बाढ ,जान माल का नुकसान परंतु चारों तरफ हरियाली फैलती है। तत्पश्चात सुहागिन महिलाओं ने मां का वरन किया और सिंदूर खेलने का रस्म हुआ।

सभी महिलाओं ने देवी मां का भक्ति से वरन किया। सिंदूर लगाया मिठाई खिलाई एवं पान खिला कर उनकी शुभ यात्रा की कामना की और अपने परिवार के सुख समृद्धि, शांति और सौभाग्यता कि प्रार्थना की। इस अवसर पर मौजूद महिलाएं थी दीपा बंगवास, सोमा चटर्जी ,जोयीता ,नीतू कविता, जय श्री , नवनीता, सपना शुभ्रा, मीनाक्षी ,यामिनी, मौसमी, रीया, रीतू इत्यादि ‌शाम को आरती के बाद मां का हरदुआगंज के नहर में विसर्जन हुआ।

तत्पश्चात दुर्गा बाड़ी में शांति जल प्रदान किया गया एवं विजयदशमी के उपलक्ष में खानपान की व्यवस्था की गई। शारदीय दुर्गा पूजा की व्यवस्था में कुछ विशेष लोगों का पूरी तरह से सहयोग रहा जिसमें सचिव जगदीश भट्टाचार्य, अध्यक्ष चंदन चटर्जी ,कोषाध्यक्ष भोलानाथ अधिकारी, भोग अध्यक्ष बाबू मुखर्जी ,मोहर सिंह , तापस दत्ता अशोक चक्रवर्ती , बाबू मोइत्रा, डॉ एस एस पल, अशोक विश्वास ,संजय मुखर्जी, शुभा बनर्जी ,नबनिता दास गुप्ता, डॉ प्रभात दास गुप्ता तापस बनर्जी, शुभ्रा अधिकारी, आशु सर्खल, अंजू चटर्जी कविता राय बिना दास संध्या साहू मिहिर राय सुबिर राय इत्यादि मुख्य थे।

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