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हँसाने वाला राजू श्रीवास्तव दुनिया छोड़कर चला गया अलविदा गजोधर

अन्नू सोनी की रिपोर्ट

 

अलीगढ़ । अपना गजोधर आखिर रुलाकर चला गया । दुनिया को हँसाने वाले गजोधर को इस तरह नहीं जाना चाहिए था । 42 दिन तक हम सबने तुम्हारे वापस आने की प्रतीक्षा की। गजोधर यानि अपना राजू श्रीवास्तव राजू फिट रहने के फेर में अनफिट होकर चलता बना । दिल टूट गया. राजू के परिवार के लिए तो राजू का बिना कहे-सुने जाना वज्रपात जैसा ही है ,लेकिन हम सब भी तो सन्न हैं ।

पिछले पांच-छह दशक में देश ने एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली हास्य कलाकार दिए कानपुर का राजू भी उन्हीं में से एक था । राजू आम आदमी का हास्य कलाकार था । उसने अवाम को हंसाने के लिए न अपना नाम बदला न जाति। उसे न जानी वाकर बनना पड़ा और न जानी लीवर राजू केवल राजू था सो अंत तक रहा ईमानदारी से रहा ।

अपने लिए कैरियर के रूप में उसने हास्य अभिनय को चुनकर बड़ा जोखिम का काम किया था । किंत इसे कामयाबी मिली । राजू की सियासत में भी दिलचस्पी थी । उसने भी दल बदले और अंत में भाजपाई हो गया,किन्तु उसने भाजपा के एजेंडे को लेकर कभी नफरत नहीं फैलाई । राजू अपने अभिनय से लोगों में मुहब्बत ही बांटता रहा ,इसीलिए राजू भाजपाई होकर भी मुझे अपना भाई ही लगता रहा ।

उम्र में मुझसे छोटा राजू मेरे अलावा हिंदी पट्टी के असंख्य लोगों को पसंद था । उसकी कनपुरिया शैली की खनकदार बोली और मीठी तथा स्पष्ट आवाज अँधेरे में भी उजाला कर देती थी । राजू श्रीवास्तव वास्तव में हास्य कलाकार था । उसने अपने लिए चुटकलों का कम ही सहारा लिए । राजू ने अपने लिए किरदार खुद गढ़े ,उन्हें पाला-पोसा और पहचान दिलाई ।

मेरे लिए राजू गजोधर ही था। वो गजोधर जो सबको अपना सा लगता था । शादी विवाहों में होने वाले गिद्धभोज राजू की विषय वस्तु थे । राजो की आँखें ,जीभ ,कान हाथ ,पांव सब उसका अभिनय में साथ देते थे । राजू फिल्मों के अनेक हास्य कलाकारों की तरह स्टारडम से मुक्त था । वो भगवान दादा,मुकरी,मेहमूद ,जानी वाकर,और जानी लीवर की परम्परा का हास्य कलाकार नहीं था ।

उसका अपना स्टाइल था । मुझे याद आता है की राजू ने कोई सात-आठ फिल्मों में भी अभिनय किया लेकिन उसे संतोष मंच से ही मिला।राजू ने सिनेमा के अलावा टीवी सीरियलों में भी हाजरी लगाईं लेकिन उसे लोग मंच के हास्य कलाकार के रूप में ही ज्यादा याद रखते हैं । राजू का हँसता-खेलता परिवार है। कलाधर्मी पत्नी है ,दो बच्चे हैं ।

राजू के पास सब कुछ था ,लेकिन उसे अपनी फिटनेस की फ़िक्र हमेशा लगी रहती थी । यही वजह थी की 58 की उम्र में भी वो जिम जाता था । यही जिम उसकी जीवन यात्रा का अंतिम पड़ाव बना । राजू ने अपने समय के सभी हास्य कलाकारों के साथ काम किया । उसमें गजब का एटीएम विश्वास था ।

राजू के सामने चाहे फिल्मों के शहंशाह अमिताभ बच्चन हों या अपने जमाने के दिग्गज हास्य कलाकार काडर खान.राजू संके सामने सामान्य रहता था । उसने अपने समकालीन हास्य अभिनेताओं से हटकर जो मिमिक्री की उसका कोई तोड़ नहीं । ऐसे बहुमुखी हास्य कलाकार राजू यानि गजोधर को खोकर हम सबका दिल भारी है । वो जहाँ गया होगा,वहां भी तय है की लोगों को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर देगा । यम का दरबार हो या पुरंदर का,उसकी मांग हर जगह रहेगी ।

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