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श्रीमद्भागवत महापुराण है पंचम वेद : श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च

ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट

वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित श्रीराधा कृष्ण आश्रम में श्रीरघुवीर चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा बैंगलौर की प्रख्यात समाज सेविका स्व. मंजू सिंघल व स्व. वीरावती सिंघल की पुण्यस्मृति में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ हो गया है। व्यास पीठ से भक्तों-श्रद्धालुओं को प्रथम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए प्रख्यात भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।इसमें सभी वेदों व उपनिषदों का सार निहित है।इसीलिए इसे पंचम वेद माना गया है।कलयुग में इस ग्रंथ का श्रवण मानव जीवन के कल्याण के लिए सर्वोत्तम मार्ग है।

भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि जीवन में सत्संग के बिना भगवान की भक्ति प्राप्त कर पाना अत्यधिक कठिन है।संतों की कृपा व भगवत भक्तों की संगति से ही व्यक्ति के हृदय में प्रभु भक्ति का उदय होता है।भक्ति के प्रताप से ही जीव को परमात्मा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।

इससे पूर्व प्रेम मन्दिर से कथा स्थल तक गाजे-बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई।जिसमें महिलाएं पीत वस्त्र धारण कर सिर पर मंगल कलश लिए साथ चल रही थीं।इसके उपरांत श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान विनोद सिंघल व रघुवर दयाल सिंघल ने श्रीमद्भागवत व व्यासपीठ का पूजन-अर्चन किया।

इस अवसर पर श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, रासबिहारी मिश्रा, जुगलकिशोर शर्मा, पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च,डॉ. राधाकांत शर्मा,प्रमुख समाजसेवी तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, हितवल्लभ नागार्च आदि की उपस्थिति विशेष रही।

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