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नगरपंचायखिरौनी(सुचित्तागंज) जातिगत वोट बैंक के सहारे खोजी जा रही चेयरमैन की कुर्सी

पूर्ब प्रधान, डॉक्टर, वकील, जिला पंचायत, व्यवसाई सभी हैं दावेदारों की लाइन में 6 ग्राम पंचायतों से लगभग 15 हजार वोटर डालेंगे वोट

अनुराग पांडेय की रिपोर्ट

अयोध्या । सोहावल नव सृजित नगर पंचायत खिरौनी की चेयर मैन की कुर्सी पर कब्जे दारी के लिए दावेदारों की गणेश परिक्रमा शुरू हो चुकी है। दर्जन भर से ज्यादा दावेदारों की लगी बड़ी बड़ी होर्डिंग मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। इनमे कई पूर्ब प्रधान नर्सिंग होम चला रहे डॉक्टर वकील जिला पंचायत सदस्य ब्यवसाई सभी शामिल है। जिन्हें कुर्सी की ललक ने घर से खींच कर मतदाताओ के बीच ला खड़ा किया है।

पंचायतों के पुराने खिलाड़ियों को जंहा अपने काम काज छबि का भरोसा है तो नए दावेदारों को जातिगत वोटबैंक ने चुनाव की ओर खींच रख्खा है इन्हें अपने ब्यवसाय से ज्यादा महत्व पूर्ण चेयर मैन की कुर्सी लग रही है। खिरौनी उचितपुर सोहावल कटरौली साल्हेपुर निमैचा बिसुनपुर सारा कुल 6 ग्राम पंचायतों से जुड़ी इस नगर पंचायत में लगभग 15 हजार मतदाता है जिन्होंने गत बिधान सभा चुनाव में अपना वोट डाला है इसी गणना के आसपास ही नगर पंचायत की मतदाता सूची का आंकलन माना जा रहा है जो अपना चेयरमैन चुनेंगे।

दावेदारों में शामिल शफीक अहमद अल्लन निमैचा के कई बार प्रधान रहे साफ छबि ईमानदारी के बलबूते मैदान में है कहते है काम पर वोट चाहिए हम शराब नही बांटेंगे तो खिरौनी से पत्नी को प्रधान बना कर सहकारी समिति के अध्यक्ष बने सत्यनाम सिंह हो या यही से पूर्ब प्रधान मनीष कुमार गुप्त हरी का दावा अपनी छवि और कराये गये बिकास को सामने रखकर है जिसके सहारे वोट मांग रहे है। पत्नी को जिला पंचायत सदस्य बनाकर क्षेत्र में कट्टर हिंदुत्व की सियासत करने वाले मिंटू सिंह को मजबूत दावेदारों में माना जा रहा है।

जिनकीअपनी एक अलग छबि है तो सोहावल गांव के राम भवन भी पूर्ब प्रधान रह कर जनता के बीच अपनी पैठ पहले से रख्खे हुए है। सियासत के नए दावेदारों में नर्सिंग होम चला रहे डॉ0 राम सुमेर भारती हरीश कुमार बिकास वर्मा का नाम सुमार हो रहा है लेकिन सुबह से शाम तक मरीजो में फंसे रहने के सिवा भारती जी के पास इतना भी समय नही है कि वह किसी का दुखदर्द भी सुन सके कोई पुराना राजनीतिक धरातल नही है जो मजबूती दे लेकिन चेयरमैन के चुनाव से ही राजनीति में आने की तैयारी है।

हरीश जिला पंचायत का चुनाव देख चुके है स्थानीय सियासत के गुर जानते है। लेकिन मतदाताओं की जुबान पर नही चढ़ पा रहे है हालांकि अभी चुनाव में कई दौर आएंगे दिसम्बर तक चुनाव के हर हथकंडे अपनाए जाएंगे आरक्षण में पंचायत फंसी तो कई सामान्य वर्ग के दावेदारों का पत्ता स्वतः कट सकता है लेकिन घमासान जिस तरह से मच चुका है उससे चुनाव की तपिश अपना एहसास कराने लगी है।

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