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किशोर – किशोरियों को एनीमिया से बचने के दिए टिप्स

नीरज जैन की रिपोर्ट

फर्रुखाबाद । राष्ट्रीय पोषण माह के तहत किशोर – किशोरियों को पोषण सम्बन्धी जानकारी देने के साथ ही एनीमिया से बचाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है । इसी क्रम में राजेपुर ब्लॉक के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज में बुधवार को किशोर किशोरियों को कुपोषण, माहवारी, एनीमिया आदि विषयों पर जागरूक किया गया ।

सीएचसी राजेपुर में तैनात ब्लॉक समन्वयक किशोर स्वास्थ्य, नीलम मिश्रा ने बताया कि एनीमिया एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या है। इसका मुख्य कारण अल्प पोषण व खानपान में कमी है। किशोरावस्था में निरंतर शारीरिक व मानसिक बदलाव होते हैं। इसलिए इस दौरान किशोरियो को खानपान का उचित ध्यान रखना चाहिए। महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अनिल सिंह ने कहा कि आज की किशोरी कल किसी के घर की रौनक बनेगी। अगर एक किशोरी अस्वस्थ रहेगी तो बेहतर कल का निर्माण क्या करेगी। इसलिए माता-पिता का दायित्व बनता है कि किशोरियों के पोषण का सर्वाधिक ध्यान रखें।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ यू सी वर्मा ने कहा कि किशोरावस्था 10 से 19 वर्ष की आयु का अंतराल है। इस दौरान किशोर किशोरियों में शारीरिक व मानसिक विकास और परिवर्तन तेजी से होते हैं। इन परिवर्तनों को समझ पाने में किशोर व किशोरी स्वयं को भ्रम की स्थिति में पाते हैं। इससे उनका स्वास्थ्य एवं वृद्धि प्रभावित होती है। इसमें समुचित विकास के लिए पोषण एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए पोषण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक चंदन यादव ने कहा कि सांस फूलना, जल्दी थक जाना, भूख न लगना, चक्कर आना व माहवारी में परेशानी होना आदि एनीमिया के लक्षण हैं । यदि किसी किशोरी को इस प्रकार की समस्या आ रही है तो उसे अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर परीक्षण कराना चाहिए और उचित परामर्श लेकर नीली गोली का सेवन अवश्य करना चाहिए।
कक्षा 11 की छात्रा मोनिका ने बताया कि मुझे भूख कम लगती है, इसका कारण आज पता चला कि मेरे अंदर खून की कमी हो रही है आज़ मुझे नीली गोली खाने के लिए दी गई l इसका सेवन डॉक्टर के परामर्श पर करूंगी ।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019 – 21 (एनएफएचएस-5) के अनुसार जिले में 15 से 19 वर्ष की 58.3 महिलाएं आज भी एनीमिया से ग्रसित हैं तो वहीं 15 से 49 वर्ष की आयु सीमा में 56.9 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से परेशान हैं । इस मौके पर महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के अध्यापक कौशल किशोर, कमल कुमार और छात्र छात्राएं मौजूद रहीं ।

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