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टीबी से जंग जीतकर अब दूसरों को जागरूक कर रहे हैं : पवन

टीबी रोगियों की मदद में जुटे टीबी चैम्पियन

अन्नू सोनी की रिपोर्ट

अलीगढ़ । जनपद के मंगलवार कालोनी निवासी 31 वर्षीय पवन कुमार को जनपद निवासी स्थित मंगल बिहार कालोनी के रहने वाले हैं। उन्हें क़रीब तीन साल पहले टीबी की पुष्टि हुई। पवन बताते हैं की शुरुआत में उन्हें खांसी की समस्या हुई, जिसका इलाज वह एक निजी अस्पताल से कराने लगे, लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला। जब सरकारी अस्पताल में जांच कराई तब उन्हें पता चला कि उन्हें टीबी है। जनपद के बन्नादेवी टीबी केंद्र से नौ माह तक दवाई खिलाकर उनका उपचार किया गया। दोबारा से जांच में उन्होंने पाया कि वह टीबी से जंग जीत चुके हैं। अब वह खुद टीबी चैंपियन के रूप में अन्य टीबी रोगियों की मदद कर रहे हैं। उनका कहना है कि समय रहते अगर टीबी की पहचान हो जाए तो रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

65 वर्षीय पशुराम को वर्ष 2021 में टीबी की बीमारी हुई थी। सरकारी अस्पताल में 6 माह के इलाज के बाद वह पूरी तरह ठीक हो गए। परशुराम बताते हैं कि इस बीमारी से लड़ाई के दौरान उनकी पत्नी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही। पत्नी के सहयोग से वह अब एकदम ठीक हैं। अब टीबी चैंपियन बनकर टीबी के मरीजों को बताते हैं कि टीबी से निराश या परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह बीमारी नियमित इलाज से ठीक हो जाती है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर का कहना है कि आमतौर पर देखा गया है कि टीबी का मरीज समाज में बताना नहीं चाहता कि उसे टीबी की बीमारी है। ठीक होने के बाद भी वह इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते कि लोगों को बताएं कि कभी उन्हें टीबी थी और अब वह एकदम स्वस्थ हैं। वहीं जिले में कुछ ऐसे टीबी चैंपियन भी हैं, जिन्हे न केवल इस बीमारी को हराया बल्कि वह दूसरों को भी जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 58 टीबी चैंपियन टीबी रोगियों की इससे इजात दिलाने में मदद कर रहे हैं।

जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेन्द्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में लगभग 7410 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। इसमें 6315 मरीजों को निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 500 रूपए प्रतिमाह भत्ता भी दिया जा रहा है।

नि:शुल्क है जांच व इलाज:

जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) सतेन्द्र कुमार

जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेन्द्र कुमार ने बताया कि टीबी क्लीनिक सहित समस्त सीएचसी/पीएचसी पर टीबी की जांच निःशुल्क है। टीबी क्लीनिक व सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पताल में दवा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को एक सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी आ रही है, शाम को बुखार आ रहा है तथा भूख कम लग रही है तो उसे चाहिए कि वह सबसे पहले बलगम की जांच कराए। जांच व इलाज सब पूरी तरह मुफ्त है। इसी के साथ निजी चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को यदि डॉक्टर टीबी क्लीनिक पर रजिस्टर कर आते हैं, तो उन्हें प्रति मरीज 500 रूपए दिए जाते हैं।

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