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नोएडा ,धराशायी हुए भ्रष्टाचार के ट्विन टावर्स, चन्द सेकेंड में जमींदोज

शब्बन सलमानी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश । नोएडा की एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर बारूद के जरिए जमींदोज कर दिए गए। भ्रष्टाचार के ये रावण पिछले एक दशक से शहर की छाती पर खड़े हुए थे। इनका विनाश देखने के लिए ना केवल नोएडा बल्कि दूर-दराज से भीड़ मौके पर एकत्र हुई। नजारा बिल्कुल दशहरा के रावण दहन सरीखा था। करीब 6 महीनों से इन्हें ध्वस्त करने की तैयारियां चल रही थीं। आज दोपहर ठीक 2:30 बजे ब्लास्ट किया गया और बमुश्किल 9 सेकंड में दोनों टावर धूल के गुबार में तब्दील हो गए। इनका अंजाम देख रही भीड़ ने खूब तालियां बजाईं। इनके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों ने तो ढोल-नगाड़े पीटकर भ्रष्टाचार-अन्याय पर कानून की जीत का एलान किया।

दोनों टावर बनाने में आया करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च

सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में एपेक्स और सियान टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च आया है, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपए के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जा रहा है। जिस कारण इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार होने वाली है।

इस तरीके से होगा अरबों का नुकसान

सुपरटेक ट्विन्स टावर बनाने में करीब 12.50 टन सरिया लगा है। इसके अलावा 4.5 लाख सीमेंट के बैग लगे हैं। सुपरटेक के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 50 लाख दिवस कामगर में दोनों टावर बनाए गए हैं। इन दोनों टावर को बनाने के लिए करीब 26 करोड़ रुपए की दिल्ली का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा 25 करोड़ रुपए की कंक्रीट दोनों टावर को बनाने में की गई है। इसी तरीके से दोनों टावर को तोड़ने में अरबों का नुकसान होगा। यह भारत की सबसे ऊंची इमारत है, जिसको तोड़ा जा रहा है।

धूल का गुब्बारा 15 मिनट तक रहेगा

धूल के गुबार का असर करीब 15 मिनट तक रहेगा। हालांकि, यह हवा की गति पर भी निर्भर करेगा कि धूल का प्रवाह हवा के साथ किस ओर होगा। टावर ध्वस्त होने से उठने वाली धूल का मुद्दा प्रदूषण के लिहाज से भी अहम होगा। इमारत को ध्वस्त करने के बाद मलबे के निस्तारण के लिए इसे डिमालिशन साइट तक पहुंचाने का कार्य ट्रकों से किया जाएगा। इससे भी वातावरण में पीएम-2.5 का बढ़ना तय माना जा रहा है। इसको लेकर पर्यावरणविदों चिंतित हैं। ट्विन्स टावर में 40 मंजिल हैं। दोनों टावर्स में करीब 1000 फ्लैट हैं।

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