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युवाओं की आकांक्षाएं हों पूरी ताकि शिक्षा न रहे अधूरी

अध्ययन में यह भी पाया गया कि वर्ष 2018-19 में दोनों राज्यों में 18-22 वर्ष के 11 प्रतिशत लड़के और 42 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा, रोजगार या किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण (एनईईटी) से नहीं जुड़ी थीं । कुल युवा जनसंख्या के मुकाबले शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण से नहीं जुड़े युवाओं की संख्या को सतत विकास लक्ष्य 8.6 की प्रगति के संकेतक के रूप में अपनाया गया । वर्ष 2020 में विश्व स्तर पर यह दर 22.4 प्रतिशत थी, जबकि भारत में वर्ष 2018 में 30.4 प्रतिशत उच्चतम दर थी । यह वर्ष आर्थिक विकास और रोजगार से संबंधित एसडीजी लक्ष्य आठ को प्राप्त करने में बेहद महत्वपूर्ण है । लक्ष्य 8.6 के अनुसार वर्ष 2020 में किसी रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में शामिल न होने वाले युवाओं के प्रतिशत को कम करने का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य 8.6 में वर्ष 2020 में युवा रोजगार के लिए एक वैश्विक रणनीति का विकास और संचालन करने का लक्ष्य रखा गया था ।
उद्योगों की मांग के अनुरूप दिए जा रहे प्रशिक्षण : कुणाल सिल्कू

कौशल विकास मिशन-उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक कुणाल सिल्कू का कहना है कि बेरोजगार युवक/युवतियों को मोटर वाहन, फैशन डिजाइनिंग समेत कई विधाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है । यह ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ रोजगार की अपार संभावनाएं हैं । ऐसे में बीच में पढाई छोड़कर घर बैठे युवाओं को चाहिए कि वह इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार के बेहतर अवसर हासिल करें । इसी उद्देश्य से उद्योगों की मांग के अनुरूप विभिन्न रोजगारपरक व्यावसायिक ट्रेड्स में प्रदेश के युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है । मिशन द्वारा संचालित योजनाओं के अंतर्गत 14 से 35 आयुवर्ग के साधारण शिक्षित युवा भी अपनी रूचि के अनुसार नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं । प्रशिक्षण के बाद इन युवाओं को रोजगार दिलाने का प्रयास भी प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से मिशन द्वारा किया जाता है । इसलिए ऐसे सभी युवा जो किन्हीं कारणों से पारिवारिक व आर्थिक परिस्थितियों से अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाते हैं, इन कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी आजीविका कम सकते हैं ।

आत्मनिर्भर बनाने पर जोर : रश्मि सोनकर
संयुक्त सचिव बोर्ड ऑफ़ टेक्नीकल एजूकेशन-उत्तर प्रदेश रश्मि सोनकर का कहना है कि युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही खुद के व्यवसाय से जोड़ने के लिए विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है । इसके जरिये उनको आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही सशक्त भी बनाया जा रहा है । बेरोजगार युवक/युवतियां कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर अच्छी जगह पर नौकरी पा सकते हैं ।

पाठ्यक्रम ऐसा ताकि बच्चे कमा सकें पैसा : डॉ. राखी सैनी
राजकीय पालीटेकनिक बाराबंकी की प्रधानाचार्य डॉ. राखी सैनी का कहना है कि आज के दौर में युवक/युवतियों को पढ़ाई के बाद बेरोजगार न रहना पड़े इसको ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को ऐसा बनाया गया है कि यदि अच्छी जगह नौकरी न भी मिल पाए तो वह खुद का रोजगार शुरू कर वह आत्मनिर्भर बन सकें । इसीलिए पढ़ाई के दौरान प्रशिक्षण और शोध पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है ।

अलीगढ़ से चीफ एडिटर
अजय प्रताप चौहान

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