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इस बार पटाखे से दूरी क्योंकि सेहतमंद बने रहना है जरूरी – डॉ. अनुपम भास्कर

​डॉ. अनुपम भास्कर ने बताया कि पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण में नमी के चलते बहुत ऊपर नहीं जा पाता है, जिससे हमारे इर्द-गिर्द रहकर सांस लेने में परेशानी, खांसी आदि की समस्या पैदा करता है । दमे के रोगियों की शिकायत भी बढ़ जाती है । धुंए के कणों के सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुँच जाने पर ब्रानकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है । यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं । पटाखे की चिंगारी से त्वचा जल सकती है । पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आँखों को भी नुकसान पहुंचाती है । इससे आँखों में खुजली व दर्द हो सकता है , आँखें लाल हो सकती हैं और आंसू निकल सकते हैं । चिंगारी आँखों में जाने से आँखों की रोशनी भी जा सकती है । पटाखों का तेज धमाका कानों पर भी असर डालता है । इससे कम सुनाई पड़ना या बहरापन की भी दिक्कत पैदा हो सकती है ।
 

सेनेटाइजर लगे हाथों कदापि न छुएं पटाखें :

​कोरोना काल में सेनेटाइजर लगे हाथों से पटाखे जलाना और यहाँ तक कि छूना भी मुसीबत में डाल सकता है क्योंकि अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर पटाखों में मौजूद बारूदों के संपर्क में आकर धमाका कर सकता है । इसलिए इस दीपावली पटाखों से वैसे दूर रहने की पूरी कोशिश कीजिये, यदि आतिशबाजी करते ही हैं तो जरूरी सावधानी का भी ख्याल रखें । आतिशबाजी के बाद नाक, मुंह व आँख को कदापि न छुएं और अच्छी तरह से साबुन-पानी से हाथ को धुलें ।
 

अस्पतालों को भी किया गया अलर्ट :

​दीपावली पर अस्पतालों को भी अलर्ट किया गया है कि आतिशबाजी से किसी भी तरह की दुर्घटना होती है तो अस्पताल पहुँचने वालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम पहले से कर लिए जाएँ । आकस्मिक सेवाओं को भी सुचारू बनाए रखें क्योंकि हर साल दीपावली पर आतिशबाजी के कारण आग लगने की घटनाएँ आम हैं, इसके अलावा सांस या अन्य तकलीफ वाले लोग भी बढ़ जाते हैं ।

अलीगढ़ से चीफ एडिटर
अजय प्रताप चौहान

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